🕉 Simple Method Of Pitra Tarpan At Home – Get Relief From Pitra Dosh
ॐ पितृदेवाय विद्महे
जगत् धारिण्ये धीमहि ।
तन्नः पितृ प्रचोदयात् ॥
1️⃣ संकल्प (Resolution)
- पूजा प्रारम्भ करने से पहले हाथ जोड़कर संकल्प लें –
“आज मैं देवताओं, सप्तऋषियों, दिव्य पुरुषों और अपने पितरों को तर्पण अर्पित करता हूँ।”
- अपनी मातृभाषा (हिंदी, पंजाबी, तमिल, बंगाली आदि) में संकल्प लिया जा सकता है।
2️⃣ देवताओं को तर्पण (Facing East)
- जल + अक्षत (चावल) मिलाएँ।
- हाथ की उंगलियों के अग्रभाग (Dev Tirtha) से अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ देव्या: तृप्यन्ताम्” (एक बार)।
3️⃣ सप्तऋषियों को तर्पण (Facing East)
- वही विधि अपनाएँ।
- मंत्र: “ॐ सप्तऋषय: तृप्यन्ताम्” (एक बार)।
4️⃣ ऋषि एवं दिव्य मानव (Facing North)
- हाथ की पार्श्वभाग (किनारे) से जल अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ ऋषय: दिव्य मनुष्य: तृप्यन्ताम्” (दो बार)।
5️⃣ पितरों को तर्पण (Facing South)
- जल में काले तिल मिलाएँ।
- हथेली के मूल भाग (Pitra Tirtha) से जल अर्पित करें।
- पितरों के 3 रूप:
- वसु रूप – पिता/माता
- रुद्र रूप – दादा/दादी
- आदित्य रूप – परदादा/परदादी
पुरुष पितर
“तस्मै स्वधा नमः” (3 बार)
स्त्री पितर
“तस्यै स्वधा नमः” (3 बार)
👉 क्रम: पहले अपना गोत्र बोलें। फिर पितर का नाम। फिर रूप (वसु/रुद्र/आदित्य) बताकर तर्पण करें।
6️⃣ अन्य संबंधी व विशेष तर्पण
- मातामह-मातामही, शिक्षक, मित्र, संतान आदि दिवंगतों को भी तर्पण किया जा सकता है।
- बहुवचन में कहना हो तो मंत्र: “तेभ्य: स्वधा नमः” (3 बार)।
7️⃣ संक्षिप्त विधि (≈2 मिनट)
- देवता – “ॐ देव्या: तृप्यन्ताम्” (1 बार)
- सप्तऋषि – “ॐ सप्तऋषय: तृप्यन्ताम्” (1 बार)
- ऋषि-दिव्य मानव – “ॐ ऋषय: दिव्य मनुष्य: तृप्यन्ताम्” (2 बार)
- समस्त पितर – “ॐ पितृ: तृप्यन्ताम् तेभ्य: स्वधा नमः” (3 बार)
8️⃣ काले तिल का प्रयोग
- काले तिल वाला तर्पण केवल विशेष अवसरों पर करें: पितृ पक्ष, अमावस्या, संक्रांति, ग्रहण।
- सामान्य दिनों में केवल जल से तर्पण करें।
9️⃣ सार्वभौम तर्पण
- अपने पितरों के साथ-साथ समस्त पितरों को तर्पण दें। इससे उन सभी आत्माओं की तृप्ति होती है जिनके वंशज तर्पण नहीं कर पाते।
🕉 इस प्रकार की सरल 5 मिनट विधि से पितृदोष जैसे गंभीर दोषों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
👉 अधिक जानने व अन्य अचूक उपाय पढ़ने के लिए Visit करें: 🌐 hrcm-achook-samadhan.blogspot.com
🕉 Simple Method Of Pitra Tarpan At Home – Get Relief From Pitra Dosh
1️⃣ संकल्प (Resolution)
- पूजा प्रारम्भ करने से पहले हाथ जोड़कर संकल्प लें –
“आज मैं देवताओं, सप्तऋषियों, दिव्य पुरुषों और अपने पितरों को तर्पण अर्पित करता हूँ।”
- अपनी मातृभाषा (हिंदी, पंजाबी, तमिल, बंगाली आदि) में संकल्प लिया जा सकता है।
2️⃣ देवताओं को तर्पण (Facing East)
- जल + अक्षत (चावल) मिलाएँ।
- हाथ की उंगलियों के अग्रभाग (Dev Tirtha) से अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ देव्या: तृप्यन्ताम्” (एक बार)।
3️⃣ सप्तऋषियों को तर्पण (Facing East)
- वही विधि अपनाएँ।
- मंत्र: “ॐ सप्तऋषय: तृप्यन्ताम्” (एक बार)।
4️⃣ ऋषि एवं दिव्य मानव (Facing North)
- हाथ की पार्श्वभाग (किनारे) से जल अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ ऋषय: दिव्य मनुष्य: तृप्यन्ताम्” (दो बार)।
5️⃣ पितरों को तर्पण (Facing South)
- जल में काले तिल मिलाएँ।
- हथेली के मूल भाग (Pitra Tirtha) से जल अर्पित करें।
- पितरों के 3 रूप:
- वसु रूप – पिता/माता
- रुद्र रूप – दादा/दादी
- आदित्य रूप – परदादा/परदादी
पुरुष पितर
“तस्मै स्वधा नमः” (3 बार)
स्त्री पितर
“तस्यै स्वधा नमः” (3 बार)
👉 क्रम: पहले अपना गोत्र बोलें। फिर पितर का नाम। फिर रूप (वसु/रुद्र/आदित्य) बताकर तर्पण करें।
6️⃣ अन्य संबंधी व विशेष तर्पण
- मातामह-मातामही, शिक्षक, मित्र, संतान आदि दिवंगतों को भी तर्पण किया जा सकता है।
- बहुवचन में कहना हो तो मंत्र: “तेभ्य: स्वधा नमः” (3 बार)।
7️⃣ संक्षिप्त विधि (≈2 मिनट)
- देवता – “ॐ देव्या: तृप्यन्ताम्” (1 बार)
- सप्तऋषि – “ॐ सप्तऋषय: तृप्यन्ताम्” (1 बार)
- ऋषि-दिव्य मानव – “ॐ ऋषय: दिव्य मनुष्य: तृप्यन्ताम्” (2 बार)
- समस्त पितर – “ॐ पितृ: तृप्यन्ताम् तेभ्य: स्वधा नमः” (3 बार)
8️⃣ काले तिल का प्रयोग
- काले तिल वाला तर्पण केवल विशेष अवसरों पर करें: पितृ पक्ष, अमावस्या, संक्रांति, ग्रहण।
- सामान्य दिनों में केवल जल से तर्पण करें।
9️⃣ सार्वभौम तर्पण
- अपने पितरों के साथ-साथ समस्त पितरों को तर्पण दें। इससे उन सभी आत्माओं की तृप्ति होती है जिनके वंशज तर्पण नहीं कर पाते।
🕉 इस प्रकार की सरल 5 मिनट विधि से पितृदोष जैसे गंभीर दोषों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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