₹200 में शुगर की बीमारी ठीक हो जाएगी – आयुर्वेदिक उपाय
शुगर की बीमारी (डायबिटीज) को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में कई कारगर जड़ी-बूटियां बताई गई हैं। अगर आप ₹200 खर्च करके प्राकृतिक तरीके से शुगर को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
आवश्यक जड़ी-बूटियां:
- 100 जामुन के बीज – ध्यान रखें कि यह छोटे हाइब्रिड जामुन के नहीं होने चाहिए।
- 100 ग्राम नीम की पत्तियां
- 100 ग्राम गुड़मार बूटी
बनाने की विधि:
- इन तीनों को कूटकर (Grinder का उपयोग न करें, हमाम दस्ते में कूटें) पाउडर बना लें।
- इस मिश्रण को एक कांच के जार में स्टोर करें।
सेवन विधि:
- सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ मात्र 2 ग्राम (एक चुटकी) सेवन करें।
- यह उपाय तीन महीने तक लगातार करें।
अतिरिक्त सुझाव:
- आम, सेब, अनार जैसे फल खा सकते हैं क्योंकि ये शरीर में शुगर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं।
- डॉक्टर अक्सर शुगर कंट्रोल के लिए फलों को प्रतिबंधित करते हैं, लेकिन आयुर्वेद में इसे संतुलित आहार के रूप में स्वीकार किया गया है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने की आयुर्वेदिक चटनी
अगर आप कोलेस्ट्रॉल की समस्या से परेशान हैं, तो घर में बनी एक खास चटनी आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है।
आवश्यक सामग्री:
- लहसुन
- अदरक
- शहद
- नींबू
बनाने की विधि:
- इन सभी चीजों को समान अनुपात में मिलाकर एक पेस्ट बना लें।
- इस चटनी को 20-25 दिन तक सेवन करें।
लाभ:
- यह चटनी कोलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक रूप से कम करती है।
- दिल की धमनियों में जमा फैट को धीरे-धीरे खत्म करने में सहायक है।
यूरिक एसिड कम करने के लिए आसान उपाय
यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में दर्द, सूजन और गाठिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसका एक आसान घरेलू उपाय है –
सेवन विधि:
- हर दिन सुबह खाली पेट एक सेब (Apple) खाएं।
- चाय-कॉफी की आदत छोड़ें, खासकर सुबह की Bed Tea।
लाभ:
- सेब में मौजूद प्राकृतिक तत्व यूरिक एसिड को कम करने में मदद करते हैं।
- शरीर में अम्लीयता (Acidity) को नियंत्रित करता है और डिटॉक्सिफिकेशन करता है।
किडनी स्टोन की आयुर्वेदिक दवा (₹300 में इलाज)
किडनी स्टोन की समस्या के लिए एक सरल और सस्ता उपाय है। इसके लिए प्रशांत कपूर के एक यूट्यूब वीडियो में बताया गया फार्मूला अपनाया जा सकता है।
क्या करें?
- यूट्यूब में #प्रशांत कपूर Gallbladder टाइप करें और वीडियो देखें।
- उसमें बताए गए उपचार को अपनाएं।
लाभ:
- यह उपाय प्राकृतिक रूप से किडनी स्टोन को घोलने में मदद करता है।
- दर्द और जलन से राहत मिलती है।
गैस और कब्ज के लिए धन्वंतरि फार्मूला (त्रिफला चूर्ण)
अगर आपको गैस, अपच या कब्ज की समस्या है, तो त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
सामग्री और अनुपात:
- हरड़ – 50 ग्राम
- बहेड़ा – 100 ग्राम
- आंवला – 150 ग्राम
बनाने और सेवन की विधि:
- इन तीनों को कूटकर पाउडर बना लें।
- रात को खाने के बाद 5-6 ग्राम (1 चम्मच) गुनगुने पानी से लें।
- आप इसे खाने के साथ भी ले सकते हैं।
लाभ:
- गैस और कब्ज की समस्या दूर होगी।
- पाचन तंत्र मजबूत होगा।
अतिरिक्त सुझाव:
- अगर फिर भी समस्या बनी रहे, तो भोजन की मात्रा कम करें और शरीर को आराम दें।
ज्योतिषीय विश्लेषण (SSR कुंडली अध्ययन)
महत्वपूर्ण ग्रह स्थितियां:
- लग्न – वृश्चिक
- लग्नेश मंगल – 12वें भाव में
- राहु-केतु से पीड़ित मंगल
- नवमांश कुंडली – सिंह लग्न
- सूर्य – आठवें घर में (राजयोग कारक)
ग्रहों की विशेषताएं और निष्कर्ष:
- राहु का प्रभाव जातक के जीवन में गुप्त रहस्य और अनुसंधान से जुड़ा था।
- मंगल के प्रभाव से अनपेक्षित घटनाएं घटीं।
- शुक्र 12वें भाव में (मारकेश ग्रह) होने के कारण अचानक दुर्घटना का संकेत देता है।
- कुंडली के अनुसार किसी जल तत्व से संबंधित साजिश की संभावना प्रबल है।
समय और स्थान का ज्योतिषीय विश्लेषण:
- घटना का समय: 14 जून 2020, सुबह 10:00-10:30, मुंबई
- उस समय कर्क लग्न सक्रिय था (जो जल तत्व से संबंधित षड्यंत्र को दर्शाता है)।
संभावित निष्कर्ष:
- ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जातक को किसी बाहरी ताकत ने रोका।
- उनका झुकाव क्वांटम फिजिक्स और खगोल विज्ञान की ओर था।
- कुछ गोपनीय जानकारी हाथ लगने के कारण उनका जीवन संकट में आ सकता था।
निष्कर्ष
यह पोस्ट आयुर्वेद, ज्योतिष और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े महत्वपूर्ण उपायों और विश्लेषणों पर आधारित है। अगर आप स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा अपनाएं। यह न केवल आपके शरीर को स्वस्थ बनाएगी बल्कि आपको दवाओं की निर्भरता से भी मुक्त करेगी।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें और स्वस्थ जीवन अपनाएं!
इस पूरे प्रवचन का सार यह निकलता है कि शुगर (मधुमेह) को बिना दवाई के उपवास और आहार नियंत्रण से ठीक किया जा सकता है। इसमें दो मुख्य सिद्धांत बताए गए हैं—जापानी वैज्ञानिकों की रिसर्च और जैन धर्म की उपवास प्रणाली।
शुगर को ठीक करने की विधि (स्टेप बाय स्टेप)
1. उपवास (फास्टिंग) अपनाएं
- जापानी वैज्ञानिकों ने 100,000 लोगों पर रिसर्च की और यह निष्कर्ष निकाला कि उपवास (Fasting) से शुगर को नियंत्रित ही नहीं बल्कि ठीक भी किया जा सकता है।
- जैन धर्म में भी प्रोषध व्रत (Upavas Vrat) और जल उपवास को शुगर ठीक करने का उपाय माना गया है।
2. तीन दिन की उपवास पद्धति (Proshadh Vrat)
- पहला दिन (सप्तमी) – हल्का भोजन करें (एकासना – एक बार भोजन)।
- दूसरा दिन (अष्टमी) – पूरा उपवास करें (केवल पानी पी सकते हैं)।
- तीसरा दिन (नवमी) – हल्का भोजन करें (एकासना – एक बार भोजन)।
- वैकल्पिक रूप से, कुछ लोग नवमी और सप्तमी के दिन सिर्फ फलाहार या जल ग्रहण करते हैं।
3. भोजन के समय और मात्रा पर नियंत्रण रखें
- भोजन को आधा खाएं, दुगुना पानी पिएं, और एक भाग खाली रखें ताकि शरीर में संतुलन बना रहे।
- भोजन का अंतराल 2-3 घंटे का न रखें, बल्कि लंबा गैप रखें ताकि शरीर को इंसुलिन प्रोडक्शन में सहायता मिले।
- जितना अधिक बार भोजन करेंगे, उतना ही शुगर बढ़ेगा, इसलिए कम बार लेकिन संतुलित भोजन करें।
4. जल उपवास (Water Fasting) करें
- यदि संभव हो तो हफ्ते में एक दिन सिर्फ पानी पर रहें (जल उपवास)।
- पानी से शरीर के टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ) निकलते हैं और शुगर लेवल अपने आप संतुलित होता है।
5. तामसिक और भारी भोजन से बचें
- मीठे, तले-भुने, मैदे से बने पदार्थ, और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- भोजन में फाइबर, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज और लो-कार्ब फूड को शामिल करें।
6. मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाएं
- जिनवाणी (जैन ग्रंथों) के अनुसार, यदि हम मानसिक रूप से दृढ़ निश्चय कर लें कि हमें बीमारी से मुक्त होना है, तो शरीर भी उसी अनुसार कार्य करता है।
- इसलिए, विश्वास, धैर्य और आत्मसंयम रखना जरूरी है।
निष्कर्ष
- शुगर को दवाई के बिना ठीक किया जा सकता है, बशर्ते कि आप उपवास (Fasting) और आहार नियंत्रण अपनाएं।
- जापान के वैज्ञानिकों और जैन धर्म के आचार्यों ने उपवास को शुगर के इलाज का एक प्रभावी तरीका माना है।
- यदि इस प्रक्रिया को सही ढंग से अपनाया जाए तो इंसुलिन पर निर्भरता कम हो सकती है और शुगर की बीमारी जड़ से ठीक हो सकती है।
क्या करना है?
✔ हफ्ते में कम से कम 1 दिन जल उपवास करें।
✔ रोज़ भोजन में फाइबर और कम कार्ब वाले फूड शामिल करें।
✔ भोजन का अंतराल लंबा रखें (इंटरमिटेंट फास्टिंग)।
✔ प्रोषध व्रत अपनाएं (सप्तमी, अष्टमी, नवमी की प्रक्रिया)।
✔ मन को सकारात्मक रखें और दृढ़ निश्चय करें कि आप ठीक हो सकते हैं।